Varanasi To Ayodhya Distance : विश्व के सबसे प्राचीन शहर बनारस से यानी जिसे हम वाराणसी भी कहते है, आज के इस लेख में हम बनारस शहर की और भगवान राम की नगरी अयोध्या के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे साथ ही यह भी जानेंगे की दोनों शहरो के बीच यानी VARANASI TO AYODHYA DISTANCE कितनी है।
Varanasi To Ayodhya Distance By Road
- वाराणसी से अयोध्या की दूरी बाई रोड 203 किलोमीटर है।
- अगर आप बस द्वारा वाराणसी से अयोध्या जाना चाहते है तो बस स्टैंड से Vidhan Tours and Travels की बस सुबह 7:15 मिनट पर मिल जाएगी। जिसका बेसिक किराया Rs. 699 है।
- वाराणसी से अयोध्या अगर आप हवाई जहाज से जाना चाहते है तो लगभग 5:30 पांच घंटे तीस मिनट का समय लग सकता है, हवाई जहाज का किराया लगभग 3500 से 4000 के बीच हो सकता है या इससे भी कम दरों पर प्राप्त हो सकता है, यह उस समय के डिमांड के ऊपर है। यह फ्लाइट आपको वाराणसी के बाबतपुर लाल बहादुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से विश्वामित्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए आसानी मिल जाएगा।
Varanasi To Ayodhya Distance वाराणसी शहर का इतिहास
वर्तमान में विश्व की सबसे प्राचीनतम शहरो में से बनारस अपना प्रमुख स्थान रखता है। वाराणसी शहर उत्तर प्रदेश का एक जनपद (जिला) है। वाराणसी शहर हिंदू धर्म की सबसे पवित्र नदी मां गंगा के तट पर उपस्थित है। इस शहर में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बाबा विश्वनाथ भी विराजते है। वाराणसी भारत का एक ऐसा शहर है जो कभी खत्म नहीं हुआ, यानी विश्व का एकमात्र ऐसा शहर है को आदिकाल से बसा हुआ है। वाराणसी को बनारस और काशी भी कहा जाता है और बनारस हिंदू धर्म का सबसे पवित्र माना जाता है, और ऐसा मानना है की काशी में जो भी मनुष्य प्राण त्यागता है उसे बाबा विश्वनाथ तारक मंत्र देकर मुक्ति के द्वार पर पहुंचाते है।
बौद्ध धर्म का पवित्र शहर बनारस
वाराणसी को बौद्ध धर्म की दृष्टि से बहुत पवित्र स्थान माना जाता है क्योंकि सारनाथ में गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश इसी स्थान पर दिया था। सारनाथ स्थित गौतम बुद्ध परिसर में उपस्थित जितने स्तूप है वो सभी सम्राट अशोक ने बनवाया था।
- विश्व का इकलौता मां अन्नपूर्णा जी का मंदिर वाराणसी में स्थित है
- Sankatmochan Mandir: गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा स्थापित संकटमोचन मंदिर यहां स्थित है। पूरे मंदिर परिसर में बंदरों का झुंड मौजूद है, इस लिए इस मंदिर को हनुमान जी के बंदर स्वरूप वाला मंदिर माना जाता है। संकटमोचन का अर्थ है की जो भी मनुष्य हनुमान जी के इस स्वरूप का दर्शन एवं शास्त्र विधि से पूजन इत्यादि करेगा उसके सभी संकट को संकटमोचन हनुमानजी दूर कर देंगे।
वाराणसी संपूर्ण भारत और ख़ास कर उत्तर प्रदेश का प्रमुख धार्मिक केंद्र रहा है। काशी नगरी और मां गंगा की अविरल धारा यहां विराजित है, काशी में विश्व भर से पर्यटक यहां आते है, कोई भी गली या सड़क आपको ऐसी नही दिखाई देगी जहां विदेशी पर्यटक नज़र ना आ रहे हो। वाराणसी देव भाषा संस्कृत का केंद्र रहा है, विश्व के सुप्रसिद्ध विद्वान् पंडितो में काशी के ब्राह्मण अपना अव्वल स्थान रखते है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय भी यह विद्यमान है, और यहां के छात्रों को वेद वेदांग पढ़ता जाता है।
वाराणसी शास्त्रीय संगीत का राजघाना रहा है। शास्त्रीय संगीत की उत्पत्ति काशी से हुए है। यहां के शास्त्रीय संगीत के महापंडीतो ने सीच कर बड़ा किया हैं। भारत के कई माने जाने प्रतिष्ठित लेखक, कवि, शायर, दार्शनिक रहे है जिनमे कुछ प्रमुच ना निम्नलिखत है।
- भारत के मशहूर उपन्यासकार और लेखक मुंशी प्रेम चंद जी वाराणसी में ही जन्म लिए थे, संपूर्ण भारत में उनके कलम की आवाज़ गुजती है।
- उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की शहनाइयों की आवाज़ से बनारस प्रसिद्ध है, हालाकि इनका जन्म बिहार के एक छोटे से गांव डुमराव में हुआ लेकिन इनका लालन पालन बनारस में ही हुआ यही से इन्होंने शहनाई बजाना सीखी थी। और दुनिया भर में शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्हे कई कई राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।