Farmer’s Protest: हरियाणा के जींद बॉर्डर पर हुई किसानों और पुलिस के बीच में हिंसा, हरियाणा पुलिस और किसानों के बीच बढ़ता हुआ बवाल।
किसानों द्वारा आंदोलन का सिलसिला लगातार तेजी पढ़ते जा रहा है सिंघु बॉर्डर के बाद अब हरियाणा के जींद सीमा पर पुलिस और किसानों के बीच ज़बरदस्त भिड़ंत देखने को मिली किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने उन पर लगातार कई आंसू गैस के गोले छोड़े इसमें कई लोग जख्मी व घायल हुए हैं ताजा रिपोर्ट के अनुसार किस अभी भी पीछे हटने को तैयार नहीं है और वह आगे बढ़ाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं लेकिन हरियाणा पुलिस पहले से ही मुस्तैद है और फिलहाल अभी तक रोकने में कामयाब रही है।
जींद सीमा पर हुई इस घटना ने हरियाणा पुलिस के बड़े अधिकारियों को भी चुनौती दे दी है। किसानों के साथ हुई झड़प में कई घायल हो चुके हैं। आंसू गैस के गोले ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है। और इस स्थिति में सुरक्षा बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक कदम हरियाणा पुलिस के द्वारा उठाए जा रहे हैं। फिलहाल मामला शांत होता नहीं दिखाई दे रहा है।
किसान नेताओं ने इस पूरे मामले पर अपने वक्तव्य के दौरान कहा कि हम सिर्फ अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमें आंदोलन करने का कोई शौक नहीं है। लेकिन हमारी मांगे सुनी जाए और सरकार ने जो वचन दिए थे और उन्होंने जो वादे किए थे उसे पूरा करे। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण है। और उन्होंने किसी भी तरह की हिंसा की निंदा की है। और जितने भी किसान साथी हमारे साथ आए हैं। उनको भी हम किसी भी प्रकार की हिंसा न करने की हिदायत दिए है।
शुरुआत में सिंधु बॉर्डर में हुए किसान आंदोलन के बाद अब जिद सीमा पर भी किसानों का भीड़ बढ़ता जा रहा है। किसान संगठनों ने अपनी मांगों के लिए बहस और प्रदर्शन के लिए सीमा पर अब से ही आंदोलन शुरू कर दिया है। जिसमें हरियाणा पुलिस के साथ उनकी झड़प भी आज ही हुई है।
केंद्र सरकार ने स्थिति को देखते हुए किसानों से बात करने की बात कही है। लेकिन फिलहाल उस पर कोई विचार किया जाएगा इस पर कोई पुष्टि नहीं की गई है। किसान संगठनों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं कर देती तब तक को आंदोलन इसी प्रकार से जारी रखेंगे।
इस घटना के पीछे छुपे राजनीतिक और सामाजिक पहलुओं को समझने के लिए हमने एक सामाजिक विशेषज्ञ से इस विषय में बात कि उनके अनुसार किसान आंदोलन एक महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है। सरकार को इसे सीरियसली लेना चाहिए। और सरकार को अपने बातचीत करके इस पूरे मामले को सही दिशा में ले जाना चाहिए, जो कि किसानों की मांग भी पूरी हो सके और किसाने की किस्मत भी बदल सके, ऐसा हमारे विशेषज्ञ का मानना है।
इस पूरे घटना ने यह साबित कर दिया है कि सरकार और किसानों के बीच संवाद ही एक ऐसा रास्ता है जो कि इस पूरे मामले का फल निकल सकता है इस मुद्दे पर सही रूप से विचार किया जा सके और समाधान निकाला जा सके, बार-बार इस प्रकार की घटना होने से भारत की गतिविधि प्रभावित होती है।
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