अभिनेता आमिर खान की पत्नी और फिल्म निर्माता निर्देशक किरण राव द्वारा बनाई गई फिल्म लापता लेडीज (Laapataa Ladies) बॉक्स ऑफिस पर काफी सुस्त नजर आ रही है। हालांकि इस फिल्म को बनाने में बहुत ज्यादा पैसे खर्च नहीं किए गए हैं लेकिन किरण राव ने जो कहानी लोगों को दी है, अपेक्षा अनुसार इसकी कमाई कम काफ़ी कम मानी जा रही है।
Laapataa Ladies Review:
फिल्म निर्माता निर्देशक किरण राव द्वारा बनाई गई फिल्म लापता लेडीज इन दोनों सिनेमा घरों में चल रही है लेकिन जो सोच कर किरण राव ने इस गांव देहात से जुड़े कहानी को लोगों तक पहुंचा है उससे देखकर यह प्रतीत हो रहा है कि जनता इस फिल्म को उतना प्यार नहीं दे रही है जितना की किरण राव को था। लापता लेडीज ग्रामीण अंचल पर घटित घटना के विषय पर बनाई गई फिल्म है।
बात करें इस फिल्म के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की तो इस फिल्म ने अब तक करीब 9 करोड़ रुपए का बिजनेस किया है। और धीरे ही सही लेकिन दर्शक इस फिल्म को देखने सिनेमा घरों में जा रहे हैं। दर्शकों की माने तो किरण राव का जो नाम है उसके हिसाब से इस फिल्म को काफी कमतर आका जा रहा है। हालांकि यह फिल्म ग्रामीण अंचल में किस प्रकार से जीवन व्यतीत किया जाता है। और शादी विवाह कैसे होता है इस पर दिखाया गया है।
Laapataa Ladies की कमाई
बात कर लापता लेडीज के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर तो फिल्म रिलीज होने के एक हफ्ते में इस फिल्म में 55 से 60 लख रुपए की कमाई की है वही पूरे भारत में यह फिल्म सात आठ दिनों में 5 करोड़ का बिजनेस कर चुका है। इस फिल्म ने दूसरे हफ्ते में कुल मिलाकर 6.50 करोड रुपए का कलेक्शन किया है। इस फिल्म को सिनेमाघर में उसे हिसाब से तवज्जो नहीं दिया जा रहा है जो फिल्म के निर्माता किरण राव को थी।
रवि किशन थानेदार के रोल में
भोजपुरी इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता और वर्तमान में गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने लापता लेडिस में थानेदार का रोल निभाया है। इस फिल्म का ज्यादातर हिस्सा पुलिस थाने में ही दिखाया गया है। और मुख्य रूप से रवि किशन के कई ऐसे डायलॉग हैं जो दर्शकों को काफी पसंद आ रहे हैं। खासकर जब वो पान खाकर कुछ बोलते हैं तो दर्शन हंसी के मारे लोटपोट हो जाते हैं। इस फिल्म में रवि किशन ने एक पुलिस अफसर के तौर पर घूस लेकर काम करते हुए दिखाया गया है। लेकिन अंत में वही पुलिस अफसर ऐसी इमानदारी दिखाता है जिससे शादी से बिछड़े दोनों जोड़े फिर से मिल जाते हैं।
Laapataa Ladies Story
बात करें इस फिल्म के कहानी की तो गांव का एक लड़का किसी दूसरे गांव में शादी करने के लिए जाता है। जहां उसकी शादी ग्रामीण रीति रिवाज के साथ धूमधाम के साथ किया जाता है। हालांकि लड़का जब शादी करने गया था उस समय वह अकेले ही गया था। शादी करने के बाद उसे बाकायदा विदा किया जाता है। गांव के नदी को वह नाव द्वारा पार कर नजदीकी रेलवे स्टेशन पहुंचता है। जहां से वह अपने घर के लिए ट्रेन पकड़ता है।
ट्रेन में घुसते ही भीड़भाड़ के कारण दोनों युगल दंपतियों को बैठने का जगह नहीं मिल पाता है। जिस डिब्बे में वह चढ़ता है उस डिब्बे में दो और दंपति थे जो शादी कर कर अपने घर जा रहे थे। ट्रेन में किसी तरह जगह मिलता है और रात हो जाता है। दोनों पति-पत्नी सो जाते हैं फिर सामने वाली सीट पर कोई उतर जाता है। तो लड़का अपनी पत्नी को वहां बैठा देता है। कुछ दूर चलने के बाद काफी रात भी हो जाती है। और ऐसे में लड़का जो शादी कर घर को जा रहा था उसने देखा कि उसको जहां उतरना था उसका स्टेशन वहां आ गया है। मजे की बात तब होती है जब इस सीट पर दो ऐसी महिलाएं बैठी थी जो की सेम वेशभूषा में थी, और अनजाने में वह लड़का अपनी पत्नी को ना उठा कर दूसरे की पत्नी को उठाकर ट्रेन से नीचे स्टेशन पर उतर जाता है।
ऐसे में गांव वाले दोनों जुगल जोड़ों का बैंड बाजा के साथ इंतजार कर रहे थे। जब गांव के सरहद पर दोनों पति-पत्नी पहुंचते हैं तो गाजे बाजे के साथ उनका स्वागत किया जाता है। और उन्हें घर ले जाया जाता है। घर ले जाने के बाद धार्मिक रीति-रिवारों के हिसाब से उनका स्वागत सत्कार किया जाता है। इसके बाद लड़की की दादी ने लड़की को मुंह खोलने के लिए कहती है। लेकिन लड़की शर्मा रही थी। जब लड़के हैं अपनी पत्नी से कहा कि सब अपने ही हैं तुम मुंह खोलो जब लड़की अपने सर का पल्लू हटाती है तो सामने पूजा कर रही लड़के की मां के हाथ से पूजा की थाली छूट जाती है। क्योंकि वह लड़की नहीं थी जिससे वह विवाह किया था।
कहानी में रोमांच तब आता है जब मालूम चलता है कि लड़का अपनी पत्नी को छोड़ किसी दूसरी की पत्नी को साथ ले आया है। उसके बाद आसपास खोजबीन शुरू होती है और नजदीकी रेलवे स्टेशन में लोग जाकर जांच पड़ताल करते हैं। लेकिन लड़की का कोई पता नहीं चल पाता है ऐसे में जो लड़की खोई हुई थी, वह किसी दूसरे व्यक्ति के साथ यानी जिसकी बीवी खोई हुई थी उसके साथ वह स्टेशन से नीचे उतर जाती है। लेकिन वह जब देखती है कि हमारा पति नहीं है तो डर के मारे वहां से भाग जाती है। ऐसे में अपने पति को ढूंढते हुए लड़की स्टेशन पर घूम रहे एक छोटू से मिलती है जिसे वह अपनी पूरी कहानी सुनाती है।
लड़की वही स्टेशन पर कुछ दिन रूकती है और कई दिनों तक ड्रामा चलते रहा है। अंत में किसी तरह उसका पति उसे मिल गया जिससे दोनो पति पत्नी भाव विभोर हो जाते है।