पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के ऊपर फिल्माया गया फिल्म Mai Hoon Atal को आज सिनेमाघरो में रिलीज किया गया, फिल्मी फ्राइडे के इस मौके पर पंकज त्रिपाठी द्वारा अभिनय किए गए इस फिल्म को दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं, हालांकि फिल्म का जब पोस्ट और ट्रेलर रिलीज हुआ था तब भी दर्शक इसे देखकर काफी आनंदित महसूस कर रहे थे और इस फिल्म को देखने के लिए काफी उत्सुक थे।
Mai Hoon Atal: फिल्म के शुरुआती दृश्य में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच जो युद्ध चल रहा था उस पर शांति प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे।
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का एक ऐसा आदर्शवादी व्यक्तित्व था कि वह हमेशा शांति को सर्वप्रथम पहले स्थान पर रखते थे अगर शांति में कोई भंग डालने की कोशिश करता है या हथियारों द्वारा लड़ाई करने की कोशिश करता है तो प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का ऐसा विचार था कि वह भी किसी से कम नहीं है, अपने देश की सुरक्षा एकता और अखंडता को कायम रखने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते थे।
इस फिल्म में अटल बिहारी वाजपेई के संपूर्ण जीवन काल पर प्रकाश डाला गया है उनके पूरे जीवन में क्या-क्या घटित हुआ था उन सभी मुख्य घटानाओं को इस फिल्म में दर्शाने की कोशिश की गई है। फिल्म शुरू करने से पहले उनके बचपन के दिन को दिखाया जाता है जैसे वह जब छोटे थे तो किस प्रकार से कविता बोलते थे या लिखते थे इस पर प्रकाश डाला गया है।
फिल्म में कुछ इस प्रकार से यह दिखाया गया है कि छोटा बच्चा पास की बिल्डिंग में चुपके से चढ़कर वहां अंग्रेजी हुकूमत के झंडे को हटाकर भारत के ध्वज तिरंगा का ध्वजारोहण कर देता है। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़े हुए थे और आरएसएस के वह सबसे तेज तर्रार स्वयंसेवकों में से एक थे, राष्ट्रवादी सोच को वह संपूर्ण देश में लागू करना चाह रहे थे ऐसा उनका शुरू से ही सोचना था।
Mai Hoon Atal Review:
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी का जो सिद्धांत था और जो उनकी विशेषताएं थी उसको पूरा तो नहीं लेकिन थोड़ा बहुत सूक्ष्म तरीके से इस फिल्म में फिल्माया गया है, इस फिल्म के अगर लेखनी की बात करें तो इस फिल्म के लेखनी थोड़ी सुस्त सी लगी, प्रधानमंत्री अटल जी का एक ऐसा व्यक्तित्व था जो कि उन्हें पक्ष ही नहीं बल्कि विपक्ष के भी लोग उनकी सराहना करते थे इस फिल्म में कुछ ऐसे डायलॉग भी मौजूद हैं जो कि शायद दर्शकों को थोड़ा कम समझ में आए लेकिन कुल मिला जुलाकर कहें तो फिल्म फिलहाल ठीक-ठाक ही रहा है।
इस फिल्म में कई ऐसे युद्ध के क्षण दिखाए गए हैं जैसे 1953 में कश्मीर में जो हमला हुआ था, और 1962 में भारत की चीन के साथ युद्ध हुआ था, और 1963 में भारत की पाकिस्तान के साथ लड़ाई हुई थी, और 1975 में इमरजेंसी के दौरान जो भी घटना घटित हुई थी उसे दिखाया गया है। बहरहाल अगर देखे तो अटल जी का जो भी जीवन अर्थात उनका जो व्यक्तित्व था उसे पूरा तो नहीं दिखाया गया है लेकिन मनोरंजन के हिसाब से लोग इसे देखना पसंद कर रहे हैं।
इस फिल्म में इंटरवल के बाद भारत द्वारा जो पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया था उसमें अटल जी का कितना बड़ा योगदान था और कितनी बड़ी उनकी सोच थी जो कि भारत को इस न्यूक्लियर टेस्ट को सफलतापूर्वक पूर्ण कर पाया, क्योंकि उस समय अमेरिका जैसे देश भारत पर कड़ी नजर रख रहे थे, क्योंकि अमेरिका यह नहीं चाहता था कि भारत परमाणु सशक्त देश बने।
और इस फिल्म में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के दूरगामी सोच द्वारा एक शांति समझौते के तौर पर भारत से पाकिस्तान बस चलाया गया था, उसकी भी कुछ घटनाएं इस फिल्म में दिखाई गई है उसके बाद भारत और पाकिस्तान का जो कारगिल में युद्ध होता है उसे भी इस फिल्म में दिखाया गया है। कुल मिलाकर दर्शन इस फिल्म को देखकर काफी उत्साहित है और लोगों का रिव्यू भी काफी अच्छा रह, इस फिल्म को लगभग 2 घंटे 19 मिनट तक पर्दे पर दिखाया गया है।
पंकज त्रिपाठी का प्रदर्शन
अभिनेता पंकज त्रिपाठी को आज कौन नहीं जानता, पूरे भारत में उनके अभिनय का लोग लोहा मानते हैं खासकर गैंग ऑफ वासेपुर में उन्होंने जिस प्रकार से अभिनय किया था उसेसे लोगों का लगाव पंकज त्रिपाठी की तरफ बढ़ता गया। खैर बात करें इस फिल्म की तो पंकज त्रिपाठी का परफॉर्मेंस इस फिल्म में बहुत ही शानदार रहा है जब वह पर्दे पर आते हैं तो अपनी पलके झटका झटका कर आते हैं अटल बिहारी वाजपेई जी की तरह उन्होंने बोलने का स्टाइल जो चुना है वह दर्शकों को देख कर बहुत अच्छा लगा है।
अगर इस फिल्म में पंकज त्रिपाठी के अभिनय की बात की जाए तो उन्होंने इस फिल्म में हुबहू स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई का अभिनय किया है ऐसा कहीं से भी देखने में नहीं लगता कि यह अटल जी नहीं है दर्शकों ने उनके इस अदा को बहुत ही गौर से देखा और बहुत पसंद भी किया है।
फिल्म अभिनेता पीयूष मिश्रा ने अटल बिहारी वाजपेई जी के पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेई जी का किरदार बड़े ही अच्छे ढंग से निभाया है, खैर उन्हें बहुत ज्यादा समय तो नहीं दिया गया लेकिन जितना भी उन्होंने अभिनय किया है दर्शकों ने इसे खूब सराहा है।
पीयूष मिश्रा ने कृष्ण बिहारी वाजपेई जी का किरदार ऐसा निभाया है जो की एक बाप बेटे की रिश्ते को बड़ी ही नजदीकी ढंग से बड़ी रोचक ढंग से इस फिल्म में रख रहा है अगर बाकी और स्टोरी की बात की जाए तो फिलहाल मिला जुला कर इसकी स्टोरी बहुत ही अच्छी रही है और पीयूष मिश्रा भी जितना भी काम किए हैं वह लोगो को अच्छा लगा है।
अभिनेता रमेश कुमार ने भारत के राजनीति में अपनी पहचान बनाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का अभिनय किया है लालकृष्ण आडवाणी और वाजपेई जी का संबंध बहुत बचपन से ही रहा है, उन्होंने पूरी राजनीतिक जीवन में एक साथ ही काम किया है इसलिए उनका यह अभिनय काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवाणी की कठिन परिश्रम के कारण है, आज जो की एक राजनीतिक पार्टी आज विश्व स्तर पार्टी बन गई है।
अभिनेत्री Gauri Sukhtankar ने निभाया भारत की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी का किरदार सुषमा जी कितनी दूरदर्शी नेता थी कितनी सूझ बूझ वाली नेता थी और एक महिला के तौर पर उन्होंने जिस तरह से देश को आगे ले जाने में अपना अहम योगदान दिया है उसको अभिनेत्री गौरी सुखतनकर ने बड़ी रोचक ढंग से अपने अभिनय के द्वारा प्रस्तुत किया है।
इस फिल्म में विपक्षी नेताओं की बात करें तो भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी को कई बार दिखाया गया है हालांकि ब्लैक एंड व्हाइट शॉर्ट्स में दर्शकों को यह काफी पसंद आया हैं।
इस फिल्म के पूरे वृतांत की बात करें तो कुल मिलाकर पंकज त्रिपाठी ही इस पूरे फिल्म में जान झोंकते दिखाई दे रहे हैं, पंकज त्रिपाठी ही परदे पर एक ऐसे अद्भुत और उत्कृष्ट अभिनय के खिलाड़ी माने जा रहे है। इस फिल्म में जो कि दर्शकों ने उन्हें देखकर तलिए की गदगढ़त के साथ उनका स्वागत भी किया।
Mai Hoon Atal: इस फिल्म के डायरेक्टर रवि जाधव है, और इस फिल्म के कलाकार क्रमशः पंकज त्रिपाठी, पीयूष शर्मा, राजा रमेश, कुमार प्रमोद पाठक, और गौरी सुखतनकर है।