Prayagraj To Ayodhya Distance प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक के अनुसार वाराणसी यानी बनारस एक ऐसा शहर है जो इतिहास से भी पुराना है। इतिहास शब्द या इतिहास की जबसे उत्पत्ति हुई है उससे भी कई हज़ार गुना पुराना है बनारस का इतिहास। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार वाराणसी एक ऐसा शहर है जो कभी समाप्त नहीं हुआ, यानी अनादि काल से बसा हुआ शहर है बनारस।
भगवान शिव की नगरी काशी आध्यात्मिक दृष्टि से हिंदुओ का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। भगवान शिव का ऐसा आशीर्वाद है की काशी नगरी में जिस भी व्यक्ति की मृत्यु होती है उसे भगवान भोलेनाथ तारक मंत्र देकर मोक्ष की प्राप्ति करवाते है। वाराणसी शहर में जो भी पर्यटक आता है उसके अंतः मन में बस जाती है यह नगरी। विश्व का वाराणसी ही एक मात्र ऐसा शहर है जो वाराणसी को एक स्थान के रूप में नही बल्कि अपना सुनहरा अनुभव या याद कहना पसंद करते है।
सहज और सुलभ यात्रा के लिए आप प्रयागराज (इलाहाबाद) से वाराणसी (बनारस) के लिए स्थानीय बस या टैक्सी या उत्तरप्रदेश परिवहन की बस से यात्रा कर सकते है। प्रयागराज से हंडिया- गोपीगंज- कछवा होते हुए सीधे आप वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग 19 से सीधे अपने गंतव्य स्थान तक पहुंच सकते है।
Prayagraj To Ayodhya Distance की बात करे तो यह 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस दूरी को तय करने के लिए आपको 3 घंटे 20 मिनट तक लग सकता है। हालाकि यह रोड क्लियरेंस पर निर्भर करता है। सड़क मार्ग में अगर ट्रैफिक की स्थिति ठीक ठाक रहे तो आप अनुमानित समय पर पहुंच सकते है।
Prayagraj शहर की कुछ प्रमुख विशेषता
हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णित है की तपस्या के लिए इस जगत में कोई स्थान सबसे पवित्र है तो वह है मां नर्मदा की भूमि और किसी को अपना नश्वर शरीर त्यागना हो तो वह गंगा नदी के तट पर यानी संगम नगरी प्रयागराज में जाए। आपको बता दे की गंगा नदी के तट पर बसने वाले प्रयागराज, हरिद्वार और काशी को तीर्थ स्थल माना जाता है।
इनमे प्रयागराज का सबसे अधिक महत्व है क्योंकि यहाँ त्रिवेणी संगम का मिलाप होता है। प्रयाग नाम का अर्थ है जहा हजारों यज्ञ किए गए हो अर्थ प्र का अर्थ है बड़ा और याग का अर्थ है यज्ञ। तीनो लोको का लेखा जोखा रखने वाला ब्रह्मा जी ने स्वयं यहा पर यज्ञ किया था।
उस यज्ञ में ब्रह्मा जी स्वयं पुरोहित बने थे और भगवान शिव और भगवान विष्णु स्वयं इस यज्ञ के यजमान बने थे। यज्ञ के उपरांत त्रिदेवो ने अपनी शक्ति पुंज के द्वारा पृथ्वी पर हो रहे पापो के बोझ को हल्का करने के लिए एक अक्षयवट उत्पन्न किया था।
प्रयागराज में प्रसिद्ध स्थलों की बात करे तो यहां का किला बहुत प्रसिद्ध है और दूर दूर से सैलानी यहां घूमने आते है। और ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे पवित्र स्थली यहां की संगम नगरी है जो झूसी में इनका मिलन होता है।
प्रयागराज और वाराणसी के मध्य गोपीगंज नगर के तिलंगा गांव में बाबा तिलेश्वरनाथ मंदिर की विशाल मूर्ति है जिसे स्वयं पांडवो ने अज्ञातवास के दौरान इनको स्थापित किया था। बता दे की Baba Tileshwar Nath Mandir साल में 3 रंग बदलते है।
Baba Tileshwarnath Dham Tilanga
इस स्थान पर जो भी व्यक्ति शुद्ध मन से मनोकामना मांगता है उसकी मनोकामना अवस्य ही पूर्ण होती है। सैकड़ों की संख्या में भक्त है जिनके बाबा तिलेश्वरनाथ ने मुरादे पूरी की है। प्रत्येक सोमवार को यहां बाबा महाकाल की तर्ज पर भव्य श्रृंगार होता है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए आपको गोपीगंज पड़ाव से दक्षिण दिशा की तरफ गंगा नदी के तट पर स्थित है भगवान भोलेनाथ का विशाल शिवालय।